चूड़धार मंदिर का इतिहास Churdhar temple history in hindi
प्रकृति की गोद में बसे हिमाचल प्रदेश में तमाम तीर्थस्थल हैं। जिनके दर्शनों के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन्हीं में से एक बेहद खास तीर्थ स्थान है सिरमौर जिले में। यहां दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं। इस स्थान की अपनी अलग ही महत्ता है। आइए जानते हैं कौन सा है यह स्थान और क्या है इसकी महत्ता..
सिरमौर का ‘शिरगुल महराज’ मंदिर
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में सबसे ऊंची चोटी चूड़धार को ही शिरगुल महराज के नाम से जाना जाता है। चोटी पर ‘शिरगुल महराज’ मंदिर की भी स्थापना की गई है। इन्हें सिरमौर और चौपाल का देवता माना जाता है। यह मंदिर प्राचीन शैली में बना है, जिससे इसके स्थापना काल का पता चलता है। यहां वर्ष भर सैलानियों का तांता लगा रहता है। इस देवस्थान को ट्रैकिंग के लिए भी जाना जाता है।
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ऐसे पहुंचे चूड़धार
कथा मिलती है कि चूड़धार पर्वत के साथ पास ही हनुमान जी को संजीवनी बूटी मिली थी। सर्दियों और बरसात के मौसम में यहां भारी बर्फबारी होती है। बता दें कि यह चोटी वर्ष के ज्यादातर समय बर्फ से ही ढकी रहती है। चूड़धार जाने के लिए गर्मियों का मौसम सबसे मुफीद माना गया है। इस पर्वत पर पहुंचने के लिए मुख्य रास्ता नौराधार से होकर गुजरता है। यहां से चूड़धार की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है। दूसरा रास्ता सराहन चौपाल का है। यहां से चूड़धार महज 6 किलोमीटर की ही दूरी पर है। अगर आप को ये ब्लॉग अच्छा लगा तो अपने दोस्तों साथ share करे thanks और अगर आप इस blog को video के रूप में देखना चाहते हो तो
link दिया है
https://youtu.be/n_m7iP6qDmk
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